My Love #MSD Forever 

   October 1st, 2016

Finally I Watched My Idol’s Biopic. #MSDhoni !!!!

 Yes, they revealed the struggles the Great man faced to be in this position now..😓

Peoples Loved him For his Success and Flexibility, People Hate him without Know his #Hidden Vision Nature.

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And #Sushant You just nailed it man, This one movie will take You to The next level and the hard work was clearly visible and how much effort u took to resemble the small small mannerism the LEGEND did..You just increased the love and respect we have with him #Mahi 😍,

And the

#NeerajPandey Hats off for the Characterisation, and Showed ur Brilliance in the Screenplay, #Satyaprakash character was the fun part.

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finally, The best ever biopic it will be forever about a Cricketer. #MSD Forever #An Inspiration

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Biopic Of MSD teaches You

Don’t Forget To Your Background Co- Supporters Like Your Father, Mother, Sister Friends, #LifePartner and Your Teachers Too ,Cause They are the One and Only persons Who Cares About You, Who Motivates You and Who Teaches You..How can You Grow Up in Your Life..How Can You Survive in Your LifeLine. Don’t Forget him After Your Success in Life.

Cause They have a important Roll in Your Life Like 👇👇

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MSD’s Mother-She Supported him To Grow Up within Life..His Study/Game Time, She Prayers For His Winning Moment.

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Like MSD’s Father – Always Cares For His Future

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Like MSD’s Sister She Always Support him in his Studies, Carrier, and Cricket Too.

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Like MSD’s Teacher and Coach- Who identified The Talent Of a Future WorldClass Sharp wicket Keeper and worlds BatsMan..Coach Who sided with The First Stage to Till Now Time.

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Like a Lady Luck- “Lady Luck” I Mentions but it’s Doesn’t Mean that the “Lady Luck” Required Into Your Life in Start Of Your Life. Yeah!! Obviously First of all Study,Job and Carrier and Then Your Lady Luck Can Make You Perfect in The Future Carrier, Then She Will Help You To Fight With internal and External Blames and Problems and She Will Help You To Achieve success in Your Life.

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And Last But Not The Least..Your Buddies, Your Carrier Conscious Thinker, Your #BestFriends– Like MSD’s Friends- They were Played a Most Important Roll in MSD’s Success…They Helped Him To Achieve This Position…They Are The One And Only Traveller..Gets A Happiness To Help MSD….

       So that’s Why I can’t Lose My Best Friends, Cause They Are also Inspiration of Mine, They Always Supports Me, Cares About My Feelings and Always Motivated Me to increase My Writing Skills and My Photography. 😊

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Same here My #Inspiration #MSD  Not Forgotten Those Friends, Teacher and his First Lady Luck.

That’s The Transpiracy of Our Captain Cool..He Struggles Most To Get Success In his Life. so GuYss Don’t be Afraid To Face Difficulties in Your Life …Let’s Play Against Them…Duck Them, let’s Shot To Cover Drive, Straight Drive and Defend Them. If You can Control on Your Mind and Work Hard Then Definitely You Will Get Success Like MSD.

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Thanks MSD for Being My Inspiration 😊😊

#AnupAryan

🙏🙏🙏🙏

कुछ पंक्तियां “गुरूजी” के लिए 🙏🙏

8वीं पास करके पहली बार सरकारी कॉलेज में एडमिशन लिया था.

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सरकारी नियमों के अनुसार एडमिशन के मुताबिक 1 जुलाई से ही क्लासेज स्टार्ट हो जाती हैं

चूंकि पहली बार सरकारी कॉलेज में गया था और उस समय हम लोगों के जेहन में हव्वा भी था कि यहाँ गुंडई होती है और लड़के गुटों में चलते हैं इस वजह से डरते डरते मुझे पूरा हफ्ता हो गया था.

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पापा और मम्मी के डांटने पर मुझे आखिर 1 हफ्ते बाद कॉलेज जाना ही पड़ा. कॉलेज का पहला दिन किसी मित्र की बात छोडो दूर दूर तक कोई जान पहचान का भी न था.

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8 दिन बीत चुके थे फिर भी मैं किताब न लेकर गया था.. मैं सबसे आखिरी सीट पर किताब न होने की वजह से मुंह छुपा कर बैठा हुआ था…पहले पीरियड में सर आये बिना किसी से कुछ पूंछ तांछ किये पहले आधे घंटे व्यतीत किये इसके बाद थोड़ा बहुत पढ़ाया फिर दूसरा पीरियड आ गया वो सर चले गए…और अब बारी थी दुसरे सर की वो आये और वैसे ही चले गए….

        और अब तीसरा पीरियड था हमारे वर्ग के अध्यापक (कॉमर्स के) जिन्हें हम सब और पूरा कॉलेज ही “गुरूजी” कह कर पुकारता था, क्लास में आये और बड़े सलीके से बुक्स टेबल पर रखी, मैंने अभी तक 2 अध्यापकों को देख चुका था वो आये और हम बच्चों से ही किताब मांगी पर “गुरूजी” का नियम ही अलग था वो स्वयं अपनी किताब अपने पास रखते थे….उन्होंने एक नजर पूरी क्लास को देखा और एक हलकी मुकुराहट के साथ उन्होंने बिना किसी से कुछ पूंछे किताब खोली उसमे से कुछ पन्ने पलटे और और चौक उठा कर ब्लैकबोर्ड पर लिखना शुरू कर दिया…फिर उन्होंने सबसे कहा “वही पन्ना खोल से जहाँ से कल ख़त्म किया था ” 👆पूरी क्लास किताब खोल कर पन्ने टटोलने लगी …इसके बाद “गुरूजी” ने सबकी ओर निगाह फेरी और मैं सीट पर दुबका हुआ बैठा था उन्होंने दूर से मुझे देखा और मेरे पास आये…आँखों में देखकर बोला “किताब कहाँ है ?? 🤔😳

          मैं बोला गुरु जी अभी तो नहीं ली मैंने,,,बस इतना बोलना था मेरा और गुरु जी ने मेरा बायां कान जोर से पकड़ा और सीट पर से पूरा जोर लगाकर मुझे अपनी जगह से हिला डाला और अपने अंदाज में पूरी क्लास से कहा “मरा कहीं का बच्चा किताब ही नहीं लाता और टीचर पढ़ाये पढ़ाये मरा जाता है, टीचर पढ़ाये तो पढ़ाये कैसे ” मैं पूरी बात उन्हें समझाऊं उससे पहले ही उन्होंने मेरे कान का बीमा और मेरा इंट्रोडक्शन पूरी क्लास में कुछ इस तरह कर डाला…उस दिन क्लासेस ख़त्म हुईं तो दिल में सरकारी स्कूल वाला हव्वा और बढ़ गया और उससे ज्यादा तो मुझे “गुरूजी” पर बहुत गुस्सा आया और उन्हें बहुत कोसा 😥😥😣😣…

                  लेकिन जैसे जैसे दिन बीते और हमें छह,आठ महीने हुए धीरे धीरे क्लास से बच्चे बंक मारते गए और 60 बच्चों की क्लास में कभी 20 कभी 25 तो कभी 10 ही स्टूडेंट्स रहते और टीचर्स आते क्लास में पूरे बच्चे न देखकर वापस स्टाफ रूम चले जाते, पर गुरु जी चाहे 5 ही बच्चे आये हों वो ठीक हमेशा की तरह आते और वही क्रिया दोहराते…पर हाँ उस समय मेरे पास किताब आ गयी थी..😃मैंने भी कॉलेज के 2 साल कभी बंक नहीं मारा और जब भी जाता गुरु जी ठीक उसी तरह हमें पढ़ाते..इस तरह जिन्हें मैंने कभी कोसा था उन्होंने हमारे दिल में अपने लिए जगह बना ली थी…जब क्लास में 10 15 बच्चे होते थे तो हम यों ही टहलते रहते थे लेकिन जब गुरु जी का पीरियड होता था तो मैं भी उन्हें इग्नोर न करता था….

                     मेरी पढाई में कई अध्यापक आये कुछ स्कूल में, कुछ कॉलेज में तो कुछ कोचिंग में आये लेकिन उन सबमे “गुरूजी” सबसे अलग स्थान रखते हैं…..मुझे हमेशा इस बात जी ग्लानि रहेगी की “गुरूजी” के सब्जेक्ट में कभी उस तरह परफॉरमेंस न दे सका जिस तरह उनका पढ़ाने का सलीका था…अब वो समय वापस तो न ला सकूंगा…ऐसा नहीं है कि आज “शिक्षक दिवस” है तो आप मुझे याद आये..जब भी कहीं किसी शिक्षक की बात होती है तो आपका चेहरा पहले सामने आता है और आज जब मैं अपनी नौकरी की ट्रेनिंग में गया और वहां के ट्रेनर “प्रफुल्ल सर” की कर्तव्यनिष्ठा,वही आपके जैसा आचरण और सिखाने की प्रबलता को देखकर आप बिलकुल समक्ष आ गए और ये तो आपका ही दिन है तो आप शायद मुझे भूल जाओ पर हाँ आप मुझे जरूर याद रहोगे 🙏🙏 स्कूल के दिनों में आपका आज्ञाकारी तो न बन सका पर हाँ आपकी कर्तव्यनिष्ठा का फैन जरूर हूँ अब तक…..🙂🙂

                                               आपका नादान शिष्य

                                               #AnupAryan